“अयोध्या –आक्रमण”
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अनेक आक्रमण - आपत्तियों से
रामजन्म मंदिर बचा रहा
मंदिर तोड़ ,मस्जिद बनाने को
जलालशाह ने कजल अब्बास से कहा
जड़ जमाने को भारत में सलाम की
जय हो सदा श्रीराम की
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बाबर और राणा सांगा में
युद्ध हुआ था घमासान
भागा बाबर आया अयोध्या
जलालशाह को रक्षक मान
विश्वास से कि होगी रक्षा,बाबर के सम्मान की
जय हो सदा श्रीराम की
दुआयें लेकर बाबर फिर से
फतेहपुर सीकरी जा पहुंचा
राणा सांगा को करके पराजित
जलालशाह से मिलने आ पहुंचा
मंदिर को मस्जिद बनाने की ,जलाल - बाबर से मांग की
जय हो सदा श्रीराम की
सन 1675 में था मन्दिर शेष भगवान
औरंगजेब ने गिरवा, रख दिया शीश पैगंबर मस्जिद नाम
झेला अयोध्या ने इसके पहले जिन -जिन के आक्रमण जान
आक्रमणकारी हूण,बौद्ध ,शक,और मुसलमान
मन्दिर तोड़ने - मोड़ने की शुरू हुई मीरवांकी की तैयारी
सबसे पहले उसने मारे गये,वहाँ के चार पुजारी
बाबा श्यामानंद - शिष्यों ने की एसी गद्दारी
आ गई तभी से अयोध्या पर ,जैसे आफत भारी
कई तोपों से विशाल राम मन्दिर तोड़ा गया
हिन्दू महात्माओं की सलाह से दीवरों को जोड़ा गया
एक लाख चौहत्तर हजार लाशें हिंदुओं की गिरीं
मीरवांकी सफल हो गया ,मन्दिर हिंदूतत्व की किरकिरी
राम-मन्दिर तोड़ मस्जिद बनाने का मीरवांकी को सौपके काम
दिल्ली चला गया बाबर ,यहाँ शुरू हुआ अप्रत्यासित संग्राम,
राम हमारे राम तुम्हारे
शिव और ब्रह्मा जी भी
अयोध्या में खुश हो के पधारे
नारदादि ऋषियों समेत घूमे
डगर - डगर द्वारे -द्वारे
बोले मिथ्या जगत है सारा
किन्तु सत्य हैं आप ही
पूरी सृष्टि प्रकाशित आपसे
सूर्य - चन्द्र भी आप ही
आपका दामन जो पकड़े वह
कभी भी नहीं जीवन में हारे
होता पुण्य उसी का उदित
सारे पाप होते उसी के नाश
रत्ती भर भी जिसके मन में
होता राम के प्रति विश्वास
रमे हुए हैं राम सभी में
राम हमारे राम तुम्हारे
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