मंगलवार, 16 जनवरी 2018

"हिंदी की शाख बढ़ी "

"हिंदी की शाख बढ़ी "
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी |
गंगा की धाख बढ़ी ,
शिक्षक भी बेवाक चढे ||
नर- नारी खाप खड़े ,
मुल्लाओं के चाप चढ़े |
यूं.पी. के साथ चलें ,
धर्मराज क राज चले ||
स्वच्छता- हाथ बढे,
आमजन का काज चले |
हिंदी -परिपाटी बढे ,
हिंदी क  सहपाठी गढ़ें ||
चोरी राज पढ़ें ?
विकास के साथी बढ़ें |
हिंदी -शाबाश कहें ,
हिन्दुस्तानी राज गढ़ें ||
संस्कृति 'मंगल' बढे-
भी जनता साथी गढे |
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी||